पाठ 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है
किसी समय किसी देश में शूरसेन नामक राजा हुआ करता था वह अपनी संतान के प्रजा का पालन करता था सुमति नामक उसके मंत्री का परमात्मा पर अटूट विश्वास था परमात्मा जो करता है अच्छा ही करता है वह ऐसा मानता भी था और इस पर अमल भी करता था कोई भी बुरी घटना उसको कॉपी करके डावाडोल नहीं कर सकती थी एक बार सहयोग से राजा की उंगली पर फोड़ा कल आया पीड़ा से बेचैन होकर उसने मंत्री को गुलाब भेजा मंत्री ने दर्द से बेहाल राजा को भी परमात्मा जो करता है अच्छा ही करता है यही शब्द कहे राजा सोचने लगा यह मन पत्थर दिल है इस हालत में भी मुझ पर दया नहीं करता उसी समय बाद रोग के जाने पर राजा की उंगलियों गड़ गई अंगुलियों का गुला बाग काटना पड़ा वह अपने जीवन के बारे में निराश हो गया उसने फिर मंत्री को बुला भेजा मंत्री ने इस बार भी वही पुराना विश्वास दोहराया क्रोध से जल बुन कर राजा ने सोचा अरे यह दुष्ट मंत्री बहुत ही करत धन है स्वस्थ हो जाने पर मैं अवश्य ही इस को मौत के घाट उतार दूंगा आखिर राजा रोग हीन हो गया और पहले की तरह राज्य का काम काज करने लगा एक 1 दिन उसकी शिकार खेलने की इच्छा हुई जिसके प्रबंध के लिए उसने मंत्री को कहा मंत्री ने भी स्वामी की आज्ञा अनुसार सभी प्रबंध कर दिए राजा घोड़े पर सवार होकर मंत्री और बहुत से सेवकों को साथ लेकर जंगल की ओर निकल पड़ा जब वह द ने जंगल में पहुंच गया तो उसने सेवकों को वही जाने का आदेश दिया और मंत्री के साथ लेकर भयानक जंगल के भेजो चल पड़ा घूमते जब एक के पास से गुजरे राजा अपने मन में विचार करने लगा इससे अच्छा मौका कहां मिलेगा प्यास का बहाना बनाकर इसे कुए से जलाने की आज्ञा देता हूं और जिओ ही ज्यादा निकालने के लिए नीचे की ओर झुकेगा मैं उसे कुएं में गिरा दूंगा राजा ने जैसा सोचा था कैसा वैसा ही कर दिखाया फ्री ने गिरते-गिरते भी पुराने शब्द दोहराए परमात्मा जो करता है अच्छा ही करता है इतने में सूरज देवता अपनी किलोमीटर का रास्ता गए राजा को जंगल से बाहर निकलने का मार्ग नहीं सूझ रहा था जंगली जानवर चारों ओर घूमते शुरू हो गए थे आखिर थका हारा राजा डर का मारा एक वृक्ष पर चढ़कर जा छिपा उसने घोड़े को पहले ही वृक्ष के नीचे दिया था अब रात काफी चुकी थी इतने मैं किसी दूसरे राजा सड़कों का एक बहुत बड़ा ध्यान एक जंगल में घूम आया घोड़ों को वृक्ष के साथ उनको विश्वास हो ताकि इसका स्वाद भी अवश्य ही आसपास छिपा बैठा होगा वे लोग मन ही मन प्रसन्न हो रहे थे कि यदि कोई मनुष्य उनके हाथ लग जाए तो वह उसे प्रातकाल राजा के पास ले जायेंगे राजा चामुंडा देवी की बलि चढ़ा कर अपना संकल्प पूरा कर लेगा और उनके मेरे का पालन भी हो जाएगा मैं उनमें कूद कर दृश्य पर जा बड़ा राजा को बंद कर नीचे उतार लाया घोड़े पर बिठाकर वे सभी लोग विजय के गीत गाते हुए अपने देश की और चल पड़े और हाथ लगे शिकार को अपने स्वामी की सेवा में हाजिर कर दिया अब बलि देने की शुरू हो गई अभी आदमी उठाई ही थी कि राजा बबली जीव के कटे हुए अंग पर जाट की राजा हैरान होकर जिला उठा अरे पापियों यह क्या कर डाला तुम नहीं जानते कि मनुष्य की बलि नहीं दी जाती तो हटाई उस जहां से फिर क्या शूरसेन अपने प्राणों की मनाता हुआ वहां से तत्काल निकल भागा राजधानी लड़ते हुए मार्ग में राजा के विचारों ने पलटा सोचने लगा कि मंत्री के इस विश्वास को परमात्मा जो करता है अच्छा ही करता है मैंने बड़ी बात प्रक्रिया है अगली न होने के कारण ही मेरी है अब मैं श्रीद ही अपने नेक दिल मंत्री के पास जाता हूं नाहक उसकी दया करके घोर अपराध किया है वह अब भी जीवित है चल कर देखता हूं कुए के पास पहुंचकर वह जोर से पुकारने लगा है धर्मात्मा और क्या तुम अब भी जिंदा हो राजा के वचन सुनकर मंत्री ने उत्तर दिया राजेंद्र में कुएं में मोतियों तूने जीवन बिता रहा हूं तो मुझे निकालिए राजा ने मंत्री को कुएं से बाहर निकाला बार-बार अपना दोष स्वीकार करते हुए उससे शर्मा मैगी मंत्री ने कहा महाराज परमात्मा जो करता है अच्छा ही करता है मेरा कुएं में गिरना भी एक शुभ लक्षण था अधीन होने के कारण आप तो बच जाते परंतु मुझ बल्ले कोशिका मौत से छुटकारा पाना संभव न होता इसलिए मानना पड़ता है कि यह सब कुछ परमात्मा ने बुलाई के लिए ही किया
3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:
1. सुमित कौन था?
उत्तर: सुमित एक मंत्री थाl
2. सुमित किस बात पर विश्वास करता था?
उत्तर: सुमित पर विश्वास रखता था कि परमात्मा जो करता है अच्छे के लिए ही करता हैl
3. राजा शूरसेन शिकार खेलने कहां गया?
उत्तर: राजा शूरसेन शिकार खेलने जंगल गयाl
4. राजा ने मंत्री से बदला लेने का क्या उपाय सोचा?
उत्तर: राजा ने मंत्री से बदला लेने का उपाय सोचा कि प्यार का बहाना बनाकर उसे कुएं से जलाने की आज्ञा देगा और जिओ जल निकालने के लिए नीचे की और झुकेगा मैं उसे कुएं में गिरा दूंगाl
5. राजा ने अपने घोड़े को कहां बांदा?
उत्तर: राजा ने अपने घोड़े को पेड़ के नीचे बांदाl
6. घोड़े को वृक्ष के साथ बंदा देखकर सैनिकों ने क्या सोचा?
उत्तर: घोड़े को वृक्ष के साथ बंदा देख कर उनको विश्वास हो गया कि इसका स्वाद भी अवश्य ही आसपास छिपा बैठा होगाl
7. सैनिक राजा शूरसेन को क्यों पकड़ना चाहते थे?
उत्तर: सैनिक राजा शूरसेन को इसलिए पकड़ना चाहते थे क्योंकि उन्होंने राजा चामुंडा देवी को उसकी बलि देनी थीl
8. राजा के प्राण कैसे बचे?
उत्तर: राजा के प्राण उसकी कटी हुई उंगली के कारण बच गएl
9. राजा ने मंत्री को कुएं से कब निकाला?
उत्तर: राजा ने मंत्री को कुएं से तब निकाला जब उसकी समझ में आया कि परमात्मा जो करता है अच्छे के लिए ही करता हैl
10. राजा ने किस से क्षमा मांगी और क्यों?
उत्तर: राजा ने अपने मंत्री से क्षमा मांगी क्योंकि उसने उसे जान से मारने की कोशिश की थीl
4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पांच वाक्यों में लिखें:
1. राजा अपने जीवन से निराश क्यों हो गया था?
उत्तर: एक बार संजोग से राजा की उंगली पर फोड़ा निकल आयाl पीड़ा से बेचैन होकर उसने मंत्री को बुला भेजाl मंत्री ने दर्द से बेहाल राजा को भी.....' परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है' यही शब्द कहेl राजा सोचने लगा_ यह मंत्री कितना पत्थर_ दिल हैl इस हालत में भी मुझ पर दया नहीं करताl
कुछ ही समय बाद रोग के बढ़ जाने पर राजा की उंगली गल गईl उसकी उंगली का गला भाग काटना पड़ाl वे अपने जीवन के बारे में निराश हो गयाl
2. कुएं के पास से गुजरते हुए राजा ने क्या सोचा?
उत्तर: एक कुएं के पास से गुजरे, राजा अपने मन में विचार करने लगा.... इससे अच्छा मौका कहां मिलेगा? प्यास का बहाना बनाकर इसे कुएं से जल लाने की आज्ञा देता हूं और ज्यों ही जल निकालने के लिए नीचे की और झुकेगा, मैं इसे कुएं में गिरा दूंगाl
3. राजा की बलि क्यों नहीं दी जा सकती थी?
उत्तर: राजा की बलि इसीलिए नहीं दी जा सकती थी क्योंकि उसकी एक उंगली कटी हुई थी और अंग हीन मनुष्य की बलि नहीं दी जा सकती थीl
4. ' मुझे भले अच्छे मनुष्य का मौत से छुटकारा पाना संभव ना होता' मंत्री के इस कथन को स्पष्ट करेंl
उत्तर: मेरा कुएं में गिरना भी एक शुभ लक्षण थाl अंग हीन होने के कारण आप तो बच जाते परंतु मुझे भले_ अच्छे मनुष्य का मौत से छुटकारा पाना संभव ना होताl इसलिए मानना पड़ता है कि यह सब कुछ परमात्मा ने भलाई के लिए क्या हैl
5. इस कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है?